लकड़ी तस्करों से निपटने के लिए बना था पीएसए, चार दशक बाद शेख अब्दुल्ला के बेटे फारूक गिरफ्तार

शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला
शेख अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला
शेख अब्दुल्ला ने कभी नहीं सोचा होगा कि उनके बेटे फारूक को एक दिन उसी सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत गिरफ्तार किया जाएगा।  जिसे उन्होंने 1978 में जम्मू और कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में राज्य में लकड़ी के तस्करों से निपटने के लिए अधिनियमित किया था।

अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि शेख अब्दुल्ला ने लकड़ी तस्करों पर काबू पाने के लिए इस अधिनियम को स्थापित किया था। इसके तहत बिना किसी मुकदमे के दो साल तक किसी को कैद में रखा जा सकता है। हालांकि, यह अधिनियम 1990 के दशक की शुरुआत में जब राज्य में उग्रवाद बढ़ने की शुरुआत हुई तो पुलिस और सुरक्षा बलों के ज्यादा काम आया।

1990 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने राज्य में जब विवादास्पद सशस्त्र बल (विशेष शक्तियां) अधिनियम को लागू किया तो उस समय पीएसए का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया गया। हालांकि सोमवार को, प्रशासन ने उसी चार दशक पुराने अधिनियम का उपयोग तीन बार के मुख्यमंत्री व पांच बार के सांसद रह चुके डॉ. फारूक अब्दुल्ला के खिलाफ किया।

अदालत में दी जा सकती है चुनौती
पीएसए के तहत की गई कार्रवाई की समय-समय पर समीक्षा की जा सकती है और इसे उच्च न्यायालय में चुनौती भी दी जा सकती है। इस अधिनियम में 2012 में संशोधन किया गया था और इसके कुछ कठोर प्रावधानों में ढील दी गई थी। संशोधन के बाद, बिना किसी मुकदमे के पहली बार अपराधी या व्यक्ति को हिरासत में रखने की अवधि दो साल से घटाकर छह महीने कर दी गई। हालांकि इसमें एक प्रावधान है कि आवश्यक होने पर कैद को दो साल तक बढ़ाया जा सकता है। हालांकि पाबंदियों को बढ़ाने के लिए अधिनियम में एक प्रावधान रखा गया है यदि आवश्यक होए तो दो साल तक।

उमर ने किया था पीएसए समाप्त करने का वादा
शेख अब्दुल्ला के पोते और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लोकसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि अगर उनकी सरकार राज्य में सत्ता में आती हैए तो यह पीएसए को समाप्त करने के लिए दबाव डालेगी।

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